कैथरीन के एक अधूरे उपन्यास का एक अंश है: ''इस जीवन को जियो, जूलियट। क्या शॉपेन अपनी आकांक्षाओं को, अपनी नैसर्गिक इच्छाओं को पूरा करने से डरा था? नहीं, इसीलिए वह इतना महान है। तुम ठीक उसी चीज को अपने से दूर क्यों कर रही हो जिसकी तुम्हें जरूरत है - परम्पराओं की वजह से? अपनी नैसर्गिकता को इस तरह बौना क्यों बनाती हो, क्यों अपना जीवन बरबाद करती हो?...तुमने उन सबसे आंखें मंूद ली हैं, कान बन्द कर लिये है...